युरोपियन, अमेरिकी तथा जापानी काॅमिक्स की परंपराएँ विभिन्न मार्गों से होकर गुजरी हैं।[1] जैसे युरोपियन परंपरा की शुरुआत स्विस रोडोल्फे टाॅप्फेर के साथ 1827 से देखी जा सकती है और वहीं अमेरिकीयों द्वारा इसकी उद्गम को रिचर्ड आउटकाउल्ट द्वारा 1890 के अखबार के स्ट्रिप में प्रकाशित द येलो किड के जरिए देख सकते हैं, हालाँकि ज्यादातर अमेरिकी, टाॅप्फेर को ही इसे लाने की तरजीह देते रहे हैं।[1] जापान में इस तरह के व्यंग्यात्मक कार्टूनों का एक लंबा प्रागैतिहासकाल रहा है तथा द्वितीय विश्वयुद्ध के साथ काॅमिक्सों का युग रचा गया था। युकियो-ए आर्टिस्ट होकुसाई ने जापानी शैली में बने काॅमिक्स तथा मैंगा, कार्टून, 19वीं शताब्दी से काफी पहले लोकप्रिय हुआ करते थे।[3] वहीं युद्ध के दौरान आए आधुनिक युग से जापानी काॅमिक्स का विकास शुरू होने लगा जब ओसामु तेज़ुका ने इसके फलदायी कार्य के निर्माण का हिस्सा बने।[4] 20वीं शताब्दी के आखिरी पड़ाव तक, यह तीन भिन्न परंपराओं ने एकसाथ ही काॅमिक्स को किताब की शक्ल में झुकाव दिया:जैसे युरोप में काॅमिक्स एलबम, जापान में द तैंकोबोन[a], और अंग्रेज़ी भाषी देशों में ग्राफिक नाॅवेल।[1] वहीं बाह्य तौर पर काॅमिक्स को लेकर वंशवालियों, काॅमिक्स विचारकों एवं इतिहासकारों ने इसे लैस्काउक्स के गुफा चित्रों की प्रेरणा का उदाहरण देते हैं[5] जैसा कि फ्रांस में (कुछ इन्हें तस्वीरों की कालक्रमिक दृश्यों के प्रभावों को बताते हैं), मिश्र के चित्र-लिपियों, रोम में ट्राजन के स्तंभ,[6] 11वीं शताब्दी की नाॅर्मैन बेयेक्स टैपेस्ट्री,[7] के बनाए 1370 बोइस प्रोटेट की वुडकट्स, 15वीं शताब्दी की अर्स मोरिएन्दी और ब्लाॅक बुक्स, माइकलेंजलो की द सिस्टाइन चैपल में रचित द लास्ट जजमेंट,[6] और विलियम होगार्थ की 17वीं शताब्दी में बनी सिलसिलेवार नक्काशी,[8] तथा बीच में ऐसे अन्य कई उदाहरण।[6][b]